Jump to Section
Headline
अरबपति गौतम अडानी पर अमेरिका ने $250 मिलियन (लगभग 2,000 करोड़ रुपये) की रिश्वतखोरी योजना को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है।
Introduction
Background Information
अडानी ग्रुप भारत का एक प्रमुख बहुराष्ट्रीय समूह है, जिसकी स्थापना 1988 में अहमदाबाद, गुजरात में गौतम अडानी ने की थी। यह समूह विभिन्न क्षेत्रों में अपनी उपस्थिति के लिए जाना जाता है, जैसे कि ऊर्जा, लॉजिस्टिक्स, खनन, गैस, बंदरगाह, हवाई अड्डे, और खाद्य प्रसंस्करण।
प्रमुख व्यवसाय क्षेत्र
बंदरगाह और लॉजिस्टिक्स
- अडानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक ज़ोन (APSEZ) भारत का सबसे बड़ा निजी बंदरगाह संचालक है।
- यह समूह भारत में 13 बंदरगाहों और टर्मिनलों का संचालन करता है, जिसमें मुंद्रा पोर्ट सबसे प्रमुख है।
ऊर्जा उत्पादन
- अडानी पावर भारत की सबसे बड़ी निजी क्षेत्र की थर्मल पावर उत्पादक कंपनी है।
- यह समूह सोलर और रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर में भी अग्रणी है, और 2030 तक 45 GW नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता प्राप्त करने का लक्ष्य रखता है।
हवाई अड्डे प्रबंधन
- अडानी एयरपोर्ट्स भारत के 7 प्रमुख हवाई अड्डों का प्रबंधन करता है, जिसमें मुंबई, अहमदाबाद और लखनऊ जैसे शहर शामिल हैं।
खनन और प्राकृतिक संसाधन
- अडानी ग्रुप खनन, कोयला व्यापार और गैस वितरण में भी कार्यरत है।
- यह समूह ऑस्ट्रेलिया में कारमाइकल कोल माइन प्रोजेक्ट का संचालन कर रहा है।
Details of the Allegation
अडानी ग्रुप और इसके संस्थापक गौतम अडानी पर अमेरिकी अधिकारियों ने $250 मिलियन (लगभग 2,000 करोड़ रुपये) की रिश्वतखोरी योजना में शामिल होने का आरोप लगाया है। इन आरोपों के अनुसार, अडानी ग्रुप ने अपने व्यवसायिक लाभ के लिए भ्रष्टाचार और अनियमितताओं का सहारा लिया।
आरोपों का मुख्य बिंदु
रिश्वतखोरी योजना:
- अमेरिकी अधिकारियों का दावा है कि अडानी ग्रुप ने अन्य देशों के अधिकारियों को रिश्वत दी, जिससे उन्हें अपने व्यावसायिक सौदों और अनुबंधों को सुरक्षित करने में मदद मिली।
हिंडनबर्ग रिसर्च के पहले के आरोपों की पुष्टि?
- इससे पहले, हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडानी ग्रुप पर वित्तीय अनियमितताओं और स्टॉक हेरफेर का आरोप लगाया था। यह नया मामला उन दावों को और मजबूत करता है।
गवर्नेंस प्रथाओं पर सवाल:
- अमेरिकी एजेंसियों ने समूह की वित्तीय रिपोर्टिंग और पारदर्शिता पर सवाल उठाए हैं।
अडानी ग्रुप के निवेशकों पर असर:
- GQG Partners LLC, जिसने अडानी समूह में $10 बिलियन से अधिक का निवेश किया है, ने कहा है कि वह इन आरोपों पर नज़र रख रहा है और "उचित कदम" उठाने पर विचार कर रहा है।
मूडीज रेटिंग्स की टिप्पणी:
- मूडीज ने इस मामले को अडानी ग्रुप के लिए "क्रेडिट नेगेटिव" करार दिया है, जिससे उनके निवेशकों की चिंताएं बढ़ गई हैं।
Response from the Adani Group
गौतम अडानी और उनके समूह ने अब तक अमेरिकी अधिकारियों द्वारा लगाए गए $250 मिलियन की रिश्वतखोरी योजना के आरोपों पर सार्वजनिक रूप से कोई विस्तृत बयान नहीं दिया है। हालांकि, अडानी ग्रुप ने हमेशा अपने ऊपर लगे पहले के आरोपों को खारिज किया है और दावा किया है कि वे पारदर्शिता और कानूनी नियमों का पालन करते हैं।
पहले के आरोपों पर अडानी का रुख
हिंडनबर्ग रिसर्च के आरोपों के दौरान:
- अडानी ग्रुप ने इन आरोपों को "सुनियोजित हमला" करार दिया था और कहा था कि ये उनके व्यवसाय और भारत की अर्थव्यवस्था को कमजोर करने का प्रयास है।
- समूह ने यह भी कहा था कि उनके वित्तीय रिकॉर्ड और गवर्नेंस प्रथाएं अंतरराष्ट्रीय मानकों का पालन करती हैं।
कानूनी कार्रवाई की तैयारी:
अडानी ग्रुप ने हिंडनबर्ग के आरोपों के बाद कानूनी विकल्पों पर विचार किया था। इसलिए, संभावना है कि वे नए आरोपों पर भी कानूनी प्रतिक्रिया दे सकते हैं।
Expert Opinions and Analysis
गौतम अडानी पर लगाए गए अमेरिकी अधिकारियों के आरोपों ने न केवल अडानी ग्रुप की छवि पर असर डाला है, बल्कि निवेशकों और विशेषज्ञों के बीच भी गंभीर चिंताएं पैदा की हैं। आइए जानते हैं कि विशेषज्ञ इस मामले पर क्या कह रहे हैं:
1. माइकल कुगेलमैन (साउथ एशिया इंस्टीट्यूट, विल्सन सेंटर)
माइकल कुगेलमैन ने इन आरोपों को गौतम अडानी के लिए एक "गंभीर झटका" बताया।
पिछले कुछ समय से अडानी अपनी छवि को सुधारने और यह साबित करने में जुटे थे कि हिंडनबर्ग रिसर्च के आरोप गलत थे। लेकिन, अमेरिकी अधिकारियों द्वारा लगाए गए नए आरोपों को खारिज करना उनके लिए और कठिन होगा।
2. मूडीज रेटिंग्स की प्रतिक्रिया
मूडीज ने इन आरोपों को अडानी ग्रुप के लिए "क्रेडिट नेगेटिव" बताया है।
यह समूह की वित्तीय स्थिरता और गवर्नेंस प्रथाओं पर गंभीर सवाल खड़े करता है। इन आरोपों का असर अडानी ग्रुप की निवेश जुटाने की क्षमता और उनके कारोबार पर पड़ सकता है।
3. राजनीतिक विश्लेषकों की राय
विशेषज्ञों का कहना है कि अडानी पर आरोप भारत में एक राजनीतिक मुद्दा बन गया है।
गौतम अडानी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का करीबी माना जाता है। विपक्ष इन आरोपों को मोदी सरकार की आलोचना के लिए हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रहा है। यह न केवल अडानी ग्रुप के लिए बल्कि सरकार के लिए भी चुनौतीपूर्ण स्थिति है।